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Thursday, April 23, 2020

Narayan Kavach in sanskrit with hindi and English translation

नारायण कवच: - Narayan Kavach with hindi and English translation




श्री हरिः अथ श्रीनारायणकवच ( श्रीमद्भागवत स्कन्ध 6 , अ। 8 )

राजोवाच

यया गुप्तः सहस्त्राक्षः सवाहान् रिपुसैनिकान् क्रीडन्निव विनिर्जित्य त्रिलोक्या बुभुजे श्रियम् 1
भगवंस्तन्ममाख्याहि वर्म नारायणात्मकम् यथाSSततायिनः शत्रून् येन गुप्तोSजयन्मृधे 2

Rajo Uvacha:

Yaya guptha sahasraksha savaahaan ripu sainikan,
Kreedanniva vinirjithya trilokya bhubhuje sriyam, 1
Bhagawam sthan mamakhyahi varma narayanathmakam,
Yadha athathayina shathroon yena guptho jayan mrudhe. 2

राजा परिक्षित ने पूछा --- भगवन् ! देवराज इंद्र ने जिससे सुरक्षित होकर शत्रुओं की चतुरङ्गिणी सेना को खेल-खेल में अनायास ही जीतकर त्रिलोकी की राज लक्ष्मी का उपभोग किया , आप उस नारायण कवच को सुनाइये और यह भी बतलाईये कि उन्होंने उससे सुरक्षित होकर रणभूमि में किस प्रकार आक्रमणकारी शत्रुओं पर विजय प्राप्त की 1-2

The king said:
Oh God please share with me that armour of Narayana,
By which the thousand eyed Indra was able to drive away,
The well armed soldiers of his enemy as if it is a play,
And gain control of the three worlds and wealth,
And also was safe in the battle field and became victorious.

श्रीशुक उवाच: वृतः पुरोहितोस्त्वाष्ट्रो महेन्द्रायानुपृच्छते नारायणाख्यं वर्माह तदिहैकमनाः शृणु 3

Sri Shuka Uvacha:
Vrutha, purohitha thwashtro mahendra yanu pruchathe,
Narayanakhyam varmaha thadihaika mana srunu. 3

श्रीशुकदेवजी ने कहा --- परीक्षित्! जब देवताओं ने विश्वरूप को पुरोहित बना लिया ,तब देवराज इन्द्र के प्रश्न करने पर विश्वरूप ने नारायण कवच का उपदेश दिया तुम एकाग्रचित्त से उसका श्रवण करो 3

Sri Shuka said:
Viswaroopa the son of Thwashtra, when he was made,
The priest Of Indra taught him this armour of Narayana,
And I will teach you that and please listen to it with concentration.


विश्वरूप उवाचधौताङ्घ्रिपाणिराचम्य सपवित्र उदङ् मुखः कृतस्वाङ्गकरन्यासो मन्त्राभ्यां वाग्यतः शुचिः 4

नारायणमयं वर्म संनह्येद् भय आगते पादयोर्जानुनोरूर्वोरूदरे हृद्यथोरसि 5

मुखे शिरस्यानुपूर्व्यादोंकारादीनि विन्यसेत् ऊँ नमो नारायणायेति विपर्ययमथापि वा 6

Viswaroopa Uvacha:
Dhouthangri panir achamya sapavithra udang mukha,
Kruthaswa anga kara nyaso manthrabhyam vagyatha suchi. 4


Narayana mayam varma sannahyedh bhaya agathe,
Daiva bhoothathma karmebhya narayana maya puman. 5

Padyor janu noruvor udhare hrudhyadhorasi,
Mukhe sirasya anu poorva omgaradheeni vinyaseth.Om namo narayanethi viparyaya madhapi vaa, 6


विश्वरूप ने कहा -- देवराज इन्द्र ! भय का अवसर उपस्थित होने पर नारायण कवच धारण करके अपने शरीर की रक्षा कर लेनी चाहिए उसकी विधि यह है कि पहले हाँथ-पैर धोकर आचमन करे ,फिर हाथ में कुश की पवित्री धारण करके उत्तर मुख करके बैठ जाय इसके बाद कवच धारण पर्यंत और कुछ न बोलने का निश्चय करके पवित्रता से ' ऊँ नमो नारायणाय ' और ' ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ' ---- इन मंत्रों के द्वारा हृदयादि अङ्गन्यास तथा अङ्गुष्ठादि करन्यास करे पहले ' ऊँ नमो नारायणाय ' इस अष्टाक्षर मन्त्र के ऊँ आदि आठ अक्षरों का क्रमशः पैरों , घुटनों ,जाँघों , पेट , हृदय ,वक्षःस्थल , मुख , और सिर में न्यास करे अथवा पूर्वोक्त मन्त्र के यकार से लेकर ऊँ कार तक आठ अक्षरों का सिर से आरम्भ कर उन्हीं आठ अङ्गों में विपरित क्रम से न्यास करे 4-6

When fear approaches you, after washing your feet and hand,
Do internal purification by achamana, wear the holy ring made of Durba,
Face the north, sit on a seat of Durba grass and do the hand symbols,
And do holy chants and attain cleanliness of speech.
You should then become silent, become engrossed in Narayana,
And do suitable actions to tie yourself with the armour of Narayana,
And using the eight letters starting with OM, touch the feet,
Knees, thighs, belly heart chest, face and head,


करन्यासं ततः कुर्याद् द्वादशाक्षरविद्यया प्रणवादियकारन्तमङ्गुल्यङ्गुष्ठपर्वसु 7


Kara nyasam Thatha kuryad dwadasakshara vidhyaya, 7

Pranavadhi yakarandha mangulyam angushta parvasu

तदनन्तर ' ऊँ ' नमो भगवते वासुदेवाय ' इस द्वादशाक्षर -मन्त्र के ऊँ आदि बारह अक्षरों का दायीं तर्जनी से बाँयीं तर्जनी तक दोनों हाँथ की आठ अँगुलियों और दोनों अँगुठों की दो-दो गाठों में न्यास करे 7

न्यसेद् हृदय ओङ्कारं विकारमनु मूर्धनि षकारं तु भ्रुवोर्मध्ये णकारं शिखया दिशेत् 8
,
Nyased drudaya omkaram vikara manu moordhani.

Shakaranthu brovor madhye nakaram shikhayam nyased

वेकारं नेत्रयोर्युञ्ज्यान्नकारं सर्वसन्धिषु मकारमस्त्रमुद्दिश्य मन्त्रमूर्तिर्भवेद् बुधः 9
,
Vekaram nethrayor yunjyannakaram sarva sandhishu.

Makara masthra mudhisya mantha moorthir bhaved budha,

सविसर्गं फडन्तं तत् सर्वदिक्षु विनिर्दिशेत् ऊँ विष्णवे नम इति 10


Sarva sanga shadantham thath sarva dikshu vinirdisheth,
Om Vishnava nama ithi. 10

फिर ' ऊँ विष्णवे नमः ' इस मन्त्र के पहले के पहले अक्षर 'ऊँ ' का हृदय में , ' वि ' का ब्रह्मरन्ध्र , में ' ष ' का भौहों के बीच में ,'ण ' का चोटी में , ' वे ' का दोनों नेत्रों और 'न' का शरीर की सब गाँठों में न्यास करे तदनन्तर 'ऊँ मः अस्त्राय फट्' कहकर दिग्बन्द करे इस प्रकर न्यास करने से इस विधि को जानने वाला पुरूष मन्त्र हो जाता है 8-10

Tell Sha and touch the middle of the eye brows,
Tell Na and touch the top of the hair on your head
Tell Ve and touch both your eyes,
Tell Na and touch all your joints,
Facing all directions and say Ma Asthraya Phat,
This would make even the dim witted in to a wise one,
And thus you tie all the six directions as directed,
And chant Om salutations to Lord Vishnu!

आत्मानं परमं ध्यायेद ध्येयं षट्शक्तिभिर्युतम् विद्यातेजस्तपोमूर्तिमिमं मन्त्रमुदाहरेत 11

Athmanam paramam dhyeyed dhyeyam shad shakthibhir yudham,
Vidhya thejas thapo murthim imam manthra mudhahareth. 11


Afterwards meditate on Athma supported by the six strengths,
Of Wealth, charity, fame, goddess of wealth, wisdom and renunciation,
And chant the following which has the form of knowledge, power and meditation.


Narayana Kavacham


ऊँ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताङ्घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे दरारिचर्मासिगदेषुचापाशान् दधानोSष्टगुणोSष्टबाहुः 12

Om harir vidhadhyan mama sarva raksham.
Nyashngir padma padgendra prushte,
Dharari charmasi gadheshu chapa,
Pasan dadhano ashtaguno ashta bahu. 12

भगवान् श्रीहरि गरूड़जी के पीठ पर अपने चरणकमल रखे हुए हैं अणिमा आदि आठों सिद्धियाँ उनकी सेवा कर रही हैं आठ हाँथों में शंख ,चक्र , ढाल ,तलवार , गदा , बाण , धनुष , और पाश (फंदा ) धारण किए हुए हैं वे ही ओंकार स्वरूप प्रभु सब प्रकार से सब ओर से मेरी रक्षा करें


May all the protection to me be given by Hari,
Who keeps his lotus feet on the back of the bird,
Who is armed with conch, wheel, sword, mace,
Bow and a rope and who has eight qualities and eight hands.



जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्तिर्यादोगणेभ्यो वरूणस्य पाशात् स्थलेषु मायावटुवामनोSव्यात् त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः 13

Jaleshu maam rakshathu mathsya moorthir,
Yadho ganebhyo varunasya pasad,
Sthaleshu maya vatu vamano avyal,
Trivikrama khevadu viswaroopa. 13


मत्स्यमूर्ति भगवान् जल के भीतर जलजंतुओं से और वरूण के पाश से मेरी रक्षा करें माया से ब्रह्मचारी रूप धारण करने वाले वामन भगवान् स्थल पर और विश्वरूप श्री त्रिविक्रमभगवान् आकाश में मेरी रक्षा करें 13

Let me be protected in the water by Fish incarnation,
From the animals of the sea and rope of Varuna,
Let me be protected in the Land by Vamana, the illusory boy,
And in the sky Trivikrama and viswaroopa forms.

दुर्गेष्वटव्याजिमुखादिषु प्रभुः पायान्नृसिंहोऽसुरयुथपारिः विमुञ्चतो यस्य महाट्टहासं दिशो विनेदुर्न्यपतंश्च गर्भाः 14


Durgesh atavyaji mukhadhishu Prabhu,
Payanrusimho asura yoodha pari,
Vimunchatho yasya mahattahasam,
Dhiso vinedhur anya pathangascha Garbha. 14

जिनके घोर अट्टहास करने पर सब दिशाएँ गूँज उठी थीं और गर्भवती दैत्यपत्नियों के गर्भ गिर गये थे , वे दैत्ययुथपतियों के शत्रु भगवान् नृसिंह किले ,जंगल , रणभूमि आदि विकट स्थानों में मेरी रक्षा करें 14

In forts, forests, dangerous places and in war,
Let me be protected by Lord Narasimha,
Who by his mighty roar shook all directions,
Broke open the army formation of Asura,
And caused pregnant asura women to abort.

रक्षत्वसौ माध्वनि यज्ञकल्पः स्वदंष्ट्रयोन्नीतधरो वराहः रामो द्रिकूटेष्वथ विप्रवासे सलक्ष्मणोSव्याद् भरताग्रजोSस्मान् 15

Rakshathwasou maadhwani yajna kalpa,
Swadamshtrayoth patha dharo varaha,
Ramo aadhrikooteshwadha vipravase,
Sa lakshmanovyadh bharathagrajo maam. 15

अपनी दाढ़ों पर पृथ्वी को उठा लेने वाले यज्ञमूर्ति वराह भगवान् मार्ग में ,परशुराम जी पर्वतों के शिखरों और लक्ष्मणजी के सहित भरत के बड़े भाई भगावन् रामचंद्र प्रवास के समय मेरी रक्षा करें 15

Let me be protected on my way by Lord Varaha,
Who is Yagna personified and who by his protruding teeth,
Lifted and carried the earth to safety,
Let me be protected on mountain top by Lord Parasurama
Let me be protected when I am abroad By lord Rama,
Who is elder brother of Bharatha and Lakshmana.

मामुग्रधर्मादखिलात् प्रमादान्नारायणः पातु नरश्च हासात् दत्तस्त्वयोगादथ योगनाथः पायाद् गुणेशः कपिलः कर्मबन्धात् 16

Mamugra dharmad akhilath pramadath,
Narayana pathu narascha hasath,
Dathaswa yogad adha Yoga natha,
Payadh Gunesa kapila karma bandath. 16

भगवान् नारायण मारण - मोहन आदि भयंकर अभिचारों और सब प्रकार के प्रमादों से मेरी रक्षा करें ऋषिश्रेष्ठ नर गर्व से , योगेश्वर भगवान् दत्तात्रेय योग के विघ्नों से और त्रिगुणाधिपति भगवान् कपिल कर्मबन्धन से मेरी रक्षा करें 16
Let me be protected by Lord Narayana,
When I am transgressing Dharma or committing mistakes,
Let me be protected from my pride by Sage Nara,
Let me protected by Sage Dathathreya,
For not engaging in Yoga, meditation and other activities
And let sage Kapila protect me from the bondage of Karma.

सनत्कुमारो वतु कामदेवाद्धयशीर्षा मां पथि देवहेलनात् देवर्षिवर्यः पुरूषार्चनान्तरात् कूर्मो हरिर्मां निरयादशेषात् 17

Sanath kumaro aavathu kama devath,
Hayanano maam padhi deva helanath,
Devarshi varya purusharcha nantharath,
Koormo harir maam nirayadh aseshath. 17

परमर्षि सनत्कुमार कामदेव से , हयग्रीव भगवान् मार्ग में चलते समय देवमूर्तियों को नमस्कार आदि न करने के अपराध से , देवर्षि नारद सेवापराधों से और भगवान् कच्छप सब प्रकार के नरकों से मेरी रक्षा करें 17

Let sage Sanath Kumara protect me from the cupid,
Let Lord Hayagreeva protect me while I am on travel,
As well as when I do action that insults the Devas,
Let Sage Narada protect me from sins of non worship of devas,
And let Hari who took the form of a tortoise,
Protect me from different types of hell.


धन्वन्तरिर्भगवान् पात्वपथ्याद् द्वन्द्वाद् भयादृषभो निर्जितात्मा यज्ञश्च लोकादवताज्जनान्ताद् बलो गणात् क्रोधवशादहीन्द्रः 18


Dhanwandarir bhagawan pathway padhyath,
Dwandwadh bhayad rushabho nirjithama,
Yajnascha loka devathaa janandath,
Balo ganath krodha vasadh aheendra. 18

भगवान् धन्वन्तरि कुपथ्य से ,जितेन्द्र भगवान् ऋषभदेव सुख-दुःख आदि भयदायक द्वन्द्वों से , यज्ञ भगवान् लोकापवाद से , बलरामजी मनुष्यकृत कष्टों से और श्रीशेषजी क्रोधवशनामक सर्पों के गणों से मेरी रक्षा करें 18

Let Lord Dhanwanthari protect me from unsuitable food,
Let Rishabha, the renounced soul protect me.
From fear of the contradictory dualities*,
Let Sage Yajna protect me from gossip of society,
Let Lord Balarama protect me from problems created by men,
And let Adhi sesha protect me from my anger.
*dualities like joy-sorrow, pain-pleasure etc.

द्वेपायनो भगवानप्रबोधाद् बुद्धस्तु पाखण्डगणात् प्रमादात् कल्किः कले कालमलात् प्रपातु धर्मावनायोरूकृतावतारः 19

Dwaipayano bhagwan aprabhodhad,
Budhasthu pashanda ganath pramadhath,,
Kalki kale kala malath prapath,
Dharma vanayoru kruthavathara. 19

भगवान् श्रीकृष्णद्वेपायन व्यासजी अज्ञान से तथा बुद्धदेव पाखण्डियों से और प्रमाद से मेरी रक्षा करें धर्म -रक्षा करने वाले महान अवतार धरण करने वाले भगवान् कल्कि पापबहुल कलिकाल के दोषों से मेरी रक्षा करें 19

Let Sage Vyasa protect me from lack of awakening,
Let sage Budha protect me from hypocrisy and ignorance,
Let Lord Kalki, who would be born to salvage Dharma,
Protect me from the evil effects and thoughts of Kali age.


मां केशवो गदया प्रातरव्याद् गोविन्द आसङ्गवमात्तवेणुः नारायण प्राह्ण उदात्तशक्तिर्मध्यन्दिने विष्णुररीन्द्रपाणिः 20

Maam kesavo gadhaya pratharavyad,
Govinda aasangava aartha venu,
Narayana prahana udatha shakthir,
Madhyandhine vishnurareendra pani. 20


प्रातःकाल भगवान् केशव अपनी गदा लेकर ,कुछ दिन चढ़ जाने पर भगवान् गोविन्द अपनी बांसुरी लेकर ,दोपहर के पहले भगवान् नारायण अपनी तीक्ष्ण शक्ति लेकर और दोपहर को भगवान् विष्णु चक्रराज सुदर्शन लेकर मेरी रक्षा करें 20

May I be protected in the morn by Kesava with his mace,
May I be protected two hours later By Govinda by his flute,
Two more hours later let Lord Narayana protect by his strength,
And at noon let Lord Vishnu protect me his holy wheel.

देवोSपराह्णे मधुहोग्रधन्वा सायं त्रिधामावतु माधवो माम् दोषे हृषीकेश उतार्धरात्रे निशीथ एकोSवतु पद्मनाभः 21

Devo aparahne Madhu hogra dhanwa,
Sayam thridhamavathu Madhwao maam,
Doshe Hrishi kesa, uthardha rather,
Niseedha yekovathu Padmanabha. 21


तीसरे पहर में भगवान् मधुसूदन अपना प्रच ण्ड धनुष लेकर मेरी रक्षा करें सांयकाल में ब्रह्मा आदि त्रिमूर्तिधारी माधव ,सूर्यास्त के बाद हृषिकेश ,अर्धरात्रि के पूर्व तथा अर्ध रात्रि के समय अकेले भगवान् पद्मनाभ मेरी रक्षा करें 21

After noon let me protected by Madhu with his great bow,
In the evening Let Madhwa in the form of trinity protect me,
Between dawn and midnight let Lord Hrishi kesa protect me,
And at midnight let Lord Padmanabha alone protect me.

श्रीवत्सधामापररात्र ईशः प्रत्यूष ईशोऽसिधरो जनार्दनः दामोदरोऽव्यादनुसन्ध्यं प्रभाते विश्वेश्वरो भगवान् कालमूर्तिः 22

Srivathsa dhamaapara rathra eesa,
Prathyoosha eesosidharo janardhana,
Dhamodharo avyad anusandhyam prabathe,
Visweswaro bhagwan kala moorthi. 22

रात्रि के पिछले प्रहर में श्रीवत्सलाञ्छन श्रीहरि , उषाकाल में खड्गधारी भगवान् जनार्दन , सूर्योदय से पूर्व श्रीदामोदर और सम्पूर्ण सन्ध्याओं में कालमूर्ति भगवान् विश्वेश्वर मेरी रक्षा करें 22

Let me protected by remaining part of the night,
By the Lord in whom Srivathsa lives,
Let me be protected just before dawn,
By Lord Janardhana who holds the sword,
Let me be protected at sun rise,
By Lord Damodara and just before morn,
Let Lord Visweshwara give me protection.


चक्रं युगान्तानलतिग्मनेमि भ्रमत् समन्ताद् भगवत्प्रयुक्तम् दन्दग्धि दन्दग्ध्यरिसैन्यमासु कक्षं यथा वातसखो हुताशः 23

Chakram yugantha analathigma nemi,
Bhramath samanthad Bhagvath prayuktham,
Dandhagdhi dangdhyari sainya masu,
Kaksham yadha vatha sakho huthasa. 23


सुदर्शन ! आपका आकार चक्र ( रथ के पहिये ) की तरह है आपके किनारे का भाग प्रलयकालीन अग्नि के समान अत्यन्त तीव्र है आप भगवान् की प्रेरणा से सब ओर घूमते रहते हैं जैसे आग वायु की सहायता से सूखे घास-फूस को जला डालती है , वैसे ही आप हमारी शत्रुसेना को शीघ्र से शीघ्र जला दीजिये , जला दीजिये 23

Oh holy Wheel,your edges are like the raging fire of deluge,
You are sent by the God and rotate and travel everywhere,
And so like the fire with the help of wind,
Burns in to ashes the dried up wood of a forest,
Speedily and speedily burn and burn all my enemies.

गदे शनिस्पर्शनविस्फुलिङ्गे निष्पिण्ढि निष्पिण्ढ्यजितप्रियासि कूष्माण्डवैनायकयक्षरक्षोभूतग्रहांश्चूर्णय चूर्णयारीन् 24


Gadhe asani sparsana visphulinge,
Nishpindi nishpindyajitha priyasi,
Koosmanda vainayaka yaksha raksho,
Bhootha graham choornaya choornyarin. 24

कौमुद की गदा ! आपसे छूटने वाली चिनगारियों का स्पर्श वज्र के समान असह्य है आप भगवान् अजित की प्रिया हैं और मैं उनका सेवक हूँ इसलिए आप कूष्माण्ड, विनायक , यक्ष , राक्षस , भूत और प्रेतादि ग्रहों को अभी कुचल डालिये , कुचल डालिये तथा मेरे शत्रुओं को चूर - चूर कर दिजिये 24

Oh mace, the spark raising touches of yours,
Are unbearable like the touch of Vajra,
And you are dear to the invincible lord and his servant,
And so please powder and powder again,
Evil spirits, Yakshas, Rakshasas and all my enemies

त्वं यातुधानप्रमथप्रेतमातृपिशाचविप्रग्रहघोरदृष्टीन् दरेन्द्र विद्रावय कृष्णपूरितो भीमस्वनोऽरेर्हृदयानि कम्पयन् 25

Thwam yathu dhana pramadha pretha mathru,
Pisacha vipra graham gora drushteen,
Dharendra vidhravaya Krishna pooritho,
Bhima swano arer hrudhayani kambhayan. 25

शङ्खश्रेष्ठ ! आप भगवान् श्रीकृष्ण के फूँकने से भयंकर शब्द करके मेरे शत्रुओं का दिल दहला दीजिये एवं यातुधान , प्रमथ , प्रेत , मातृका , पिशाच तथा ब्रह्मराक्षस आदि भयावने प्राणियों को यहाँ से झटपट भगा दीजिये 25

Oh Conch, when lord Krishna blows in you,
You create a huge and loud sound and confuse my enemies,
And drive away ghouls, devils, ghosts, Pramadhas,
Brahma Rakshas and other fearful beings.

त्वं तिग्मधारासिवरारिसैन्यमीशप्रयुक्तो मम छिन्धि छिन्धि
चर्मञ्छतचन्द्र छादय द्विषामघोनां हर पापचक्षुषाम् 26

Thwam thigma dharasi varari sainyam,
Eesa prayuktha mama chindhi, chindhi,
Chakshoomshi charman satha chandra chadhaya,
Dwishamaghonaam hara papa chakshusham. 26

भगवान् की श्रेष्ठ तलवार ! आपकी धार बहुत तीक्ष्ण है आप भगवान् की प्रेरणा से मेरे शत्रुओं को छिन्न-भिन्न कर दिजिये भगवान् की प्यारी ढाल ! आपमें सैकड़ों चन्द्राकार मण्डल हैं आप पापदृष्टि पापात्मा शत्रुओं की आँखे बन्द कर दिजिये और उन्हें सदा के लिये आन्धा बना दीजिये 26

Oh holy sword, Be sent by the Lord himself,
And cut and cut my enemy army in to pieces,
Oh shield of the lord,shining like hundred moons,
Please make my enemies with full of sins look blind.

यन्नो भयं ग्रहेभ्यो भूत् केतुभ्यो नृभ्य एव च सरीसृपेभ्यो दंष्ट्रिभ्यो भूतेभ्योंऽहोभ्य एव वा 27

सर्वाण्येतानि भगन्नामरूपास्त्रकीर्तनात् प्रयान्तु संक्षयं सद्यो ये नः श्रेयः प्रतीपकाः 28

Yanna bhayam grahebhyobhooth kethubhyo nrubhya eva cha,
Saree srupebhyo dhamshtribhyo bhoothabyohebhya yeva cha. 27

Sarvanyethani bhagavan nama roopasthra keerthanath,
Prayanthu samkshayam sadhyo ye na sreya pratheepika. 28

सूर्य आदि ग्रह , धूमकेतु (पुच्छल तारे ) आदि केतु , दुष्ट मनुष्य , सर्पादि रेंगने वाले जन्तु , दाढ़ोंवाले हिंसक पशु , भूत-प्रेत आदि तथा पापी प्राणियों से हमें जो - जो भय हो और जो -जो हमारे मङ्गल के विरोधि हों --- वे सभी भगावान् के नाम , रूप तथा आयुधों का कीर्तन करने से तत्काल नष्ट हो जाँय 27 - 28

The fear that we have due to planets, comets, Kethu and kings,
The fear that we had from teethed serpents, ghosts and from sin,
And the fear that prevent our well being may all be destroyed,
Oh God, by the praise of your names and weapons.

गरूड़ो भगवान् स्तोत्रस्तोभश्छन्दोमयः प्रभुः रक्षत्वशेषकृच्छ्रेभ्यो विष्वक्सेनः स्वनामभिः 29

Garudo Bhagawan sthothra sthobha chandho maya Prabhu,
Rakshathwa sesha kruchsrebhyo vishwaksena swa namabhi. 29

बृहद् , रथ न्तर आदि सामवेदीय स्तोत्रों से जिनकी स्तुति की जाती है , वे वेदमूर्ति भगवान् गरूड़ और विष्वक्सेनजी अपने नामोच्चारण के प्रभाव से हमें सब प्रकार की विपत्तियों से बचायें 29

The Garuda, who is being praised by great musical stotras of Vedas,
Who is a god and the lord of the world, may protect me from all troubles,
By singing of his names as well as that of the Lord Vishwak sena.

सर्वापद्भ्यो हरेर्नामरूपयानायुधानि नः बुद्धिन्द्रियमनः प्राणान् पान्तु पार्षदभूषणाः 30

Savapadbhyo harer nama roopayanaayudhani na.
Budheendriya mana praanan paanthu parshadha bhooshana. 30

श्रीहरि के नाम , रूप, वाहन , आयुध और श्रेष्ठ पार्षद हमारी बुद्धि , इन्द्रिय , मन और प्राणों को सब प्रकार की आपत्तियों से बचाये 30

Let the names and forms of Vishnu, his steed,
His weapons, and important assistants may protect,
My mind, senses and soul, from all the dangers and sins.

यथा हि भगवानेव वस्तुतः सद्सच्च यत् सत्यनानेन नः सर्वे यान्तु नाशमुपाद्रवाः 31

Yadhahi bhagwan eva vasthutha sad sachayath,
Sathye nanena na sarve yanthu nasamupadrawa. 31

जितना भी कार्य अथवा कारण रूप जगत है , वह वास्तव में भगवान् ही है इस सत्य के प्रभाव से हमारे सारे उपद्रव नष्ट हो जाँय 31

The truth that God is all beings and things,
May destroy all the troubles that we face.

यथैकात्म्यानुभावानां विकल्परहितः स्वयम् भूषणायुद्धलिङ्गाख्या धत्ते शक्तीः स्वमायया 32

तेनैव सत्यमानेन सर्वज्ञो भगवान् हरिः पातु सर्वैः स्वरूपैर्नः सदा सर्वत्र सर्वगः 33

Yadaikathmanu bhavanam vikalpa rahitha swayam,
Bhooshanuyudha lingakhya dathe shakthi swa mayaya. 32

Thenaiva sathya manen sarvajno Bhagwan Hari,
Pathu sarvai swaroopairna sada sarvathra sarvaga. 33

जो लोग ब्रह्म और आत्मा की एकता का अनुभव कर चुके हैं , उनकी दृष्टि में भगवान् का स्वरूप समस्त विकल्पों से रहित है - भेदों से रहित हैं फिर भी वे अपनी माया शक्ति के द्वारा भूषण , आयुध और रूप नामक शक्तियों को धारण करते हैं यह बात निश्चित रूप से सत्य है इस कारण सर्वज्ञ , सर्वव्यापक भगवान् श्रीहरि सदा -सर्वत्र सब स्वरूपों से हमारी रक्षा करें 32-33

Those great savants who think, that God does not have any forms,
And his weapons and ornaments are only symbols without power,
And due to this truth, the God Hari is everywhere,
And let him protect me always and everywhere..

विदिक्षु दिक्षूर्ध्वमधः समन्तादन्तर्बहिर्भगवान् नारसिंहः प्रहापयँल्लोकभयं स्वनेन ग्रस्तसमस्ततेजः 34

Vidikshu dikshoordhwamadha Samantha,
Anthar bahir bhagwan narasimha,
Praha bhayam loka bhayam swanena,
Swathejasa grastha samastha theja. 34

जो अपने भयंकर अट्टहास से सब लोगों के भय को भगा देते हैं और अपने तेज से सबका तेज ग्रस लेते हैं , वे भगवान् नृसिंह दिशा -विदिशा में , नीचे -ऊपर , बाहर -भीतर - सब ओर से हमारी रक्षा करें 34

Let the Lord Narasimha who due to his power,
Destroyed elephants, serpents and other beings
And saved Prahladha, and removed the fear of the world,,
Protect me in all directions and non directions,
Top and below, inside and outside and in all places.

मघवन्निदमाख्यातं वर्म नारयणात्मकम् विजेष्यस्यञ्जसा येन दंशितोऽसुरयूथपान् 35

Maghavan idham aakhyatham varma narayanathmakam,
Vijeshya syanjasa yena damsitho sura yoodhapan. 35

देवराज इन्द्र ! मैने तुम्हें यह नारायण कवच सुना दिया है इस कवच से तुम अपने को सुरक्षित कर लो बस , फिर तुम अनायास ही सब दैत्य - यूथपतियों को जीत कर लोगे 35

Oh Indra, thus I have told you, the great armour of Narayana,
And using this you protect yourselves and easily,
Defeat the commanders of the army of Rakshasas.

एतद् धारयमाणस्तु यं यं पश्यति चक्षुषा पदा वा संस्पृशेत् सद्यः साध्वसात् स विमुच्यते 36

Yethad dharayamanasthu yam yam pasyathi chakshusha,
Pada vaa samsprusethsadhya saadvasath sa vimuchyathe. 36

इस नारायण कवच को धारन करने वाला पुरूष जिसको भी अपने नेत्रों से देख लेता है अथवा पैर से छू देता है , तत्काल समस्त भयों से से मुक्त हो जाता है 36

If he who wears his armour sees any one by his eyes,
Or even touches him by his feet, that man,
Would be able to get rid of all his fears.

न कुतश्चित भयं तस्य विद्यां धारयतो भवेत् राजदस्युग्रहादिभ्यो व्याघ्रादिभ्यश्च कर्हिचित् 37

Na kuthaschid bhayam thasya vidhyam dharayatho bhaved.,
Raja dasyu grahadhebhyo vyagradhibhyascha karhichith. 37

जो इस वैष्णवी विद्या को धारण कर लेता है , उसे राजा, डाकू , प्रेत , पिशाच आदि और बाघ आदि हिंसक जीवों से कभी किसी प्रकार का भय नहीं होता 37

He who wears this armour will never have any fear,
From king, enemies, planets and animals like the tiger.

इमां विद्यां पुरा कश्चित् कौशिको धारयन् द्विजः योगधारणया स्वाङ्गं जहौ स मरूधन्वनि 38

Imam vidhyam pura kaschid kaushiko dharayan dwija,
Yogadharanaya swa angam jahow marudhanwani. 38

देवराज! प्राचीनकाल की बात है , एक कौशिक गोत्री ब्राह्मण ने इस विद्या को धारण करके योगधारणा से अपना शरीर मरूभूमि में त्याग दिया 38

Long time ago, this knowledge was worn by a Brahmin,
From Koushika Gothra and he gave up his life in a desert

तस्योपरि विमानेन गन्धर्वपतिरेकदा ययौ चित्ररथः स्त्रीर्भिवृतो यत्र द्विजक्षयः 39

Thasyopari vimanena gandharwa pathi rekhadha,
Yayou chithra radha sthreebhir vrutho yathra dwijakshaya. 39

जहाँ उस ब्राह्मण का शरीर पड़ा था , उसके उपर से एक दिन गन्धर्वराज चित्ररथ अपनी स्त्रियों के साथ विमान पर बैठ कर निकले 39

A gandharwa called Chithra radha was travelling in a plane.
Along with his ladies, where the Brahmins body was lying.

गगनान्न्यपतत् सद्यः सविमानो ह्यवाक् शिराः स वालखिल्यवचनादस्थीन्यादाय विस्मितः प्रास्य प्राचीसरस्वत्यां स्नात्वा धाम स्वमन्वगात् 40

Gagamam anya pada sadhya savimano hyavak sira,
Sa balakhilya vachanad asthhenyadhya vismitha,
Prasya prachee saraswathyam snathwa dhama swa manwagadh. 40

वहाँ आते ही वे नीचे की ओर सिर किये विमान सहित आकाश से पृथ्वी पर गिर पड़े इस घटना से उनके आश्चर्य की सीमा न रही जब उन्हें बालखिल्य मुनियों ने बतलाया कि यह नारायण कवच धारण करने का प्रभाव है , तब उन्होंने उस ब्राह्मण देव की हड्डियों को ले जाकर पूर्ववाहिनी सरस्वती नदी में प्रवाहित कर दिया और फिर स्नान करके वे अपने लोक को चले गये!

At that spot his plane stopped and he fell there along with his ladies,
And he was perplexed and was advised by the sages called Balakhilya,
And obeying their advice, took the bones of the Brahmin,
And put it in the river Saraswathi, took bath and went back to his home.
(Even a man died in a desert, attained salvation because of this armour.)

श्रीशुक उवाचय इदं शृणुयात् काले यो धारयति चादृतः तं नमस्यन्ति भूतानि मुच्यते सर्वतो भयात् 41

Sri Shuka Uvacha:
Ya idham srunuyath kale yo dharayathi chadhrutha,
Tham namasyanthi bhoohani muchyathe sarvatho bhayath. 41

श्रीशुकदेवजी कहते हैं - परिक्षित् जो पुरूष इस नारायण कवच को समय पर सुनता है और जो आदर पूर्वक इसे धारण करता है ,उसके सामने सभी प्राणी आदर से झुक जाते हैं और वह सब प्रकार के भयों से मुक्त हो जाता है 41

Sri Shuka said:
He who wears or hears this armour of Narayana,
Would be saluted by all beings and he would get rid of all fears.

एतां विद्यामधिगतो विश्वरूपाच्छतक्रतुः त्रैलोक्यलक्ष्मीं बुभुजे विनिर्जित्यऽमृधेसुरान् 42

Yetham vidhyamadhi gatho viswaroopa chatha kruthu,
Trilokya lakshmeem bubhuje vinirjithya mrude asuran. 42

परीक्षित् ! शतक्रतु इन्द्र ने आचार्य विश्वरूपजी से यह वैष्णवी विद्या प्राप्त करके रणभूमि में असुरों को जीत लिया और वे त्रैलोक्यलक्ष्मी का उपभोग करने लगे!

Learning this knowledge from Viswaroopa, Indra,
Won in the battle over all asuras and
Got the blessings of wealth of the three worlds.

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