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Tuesday, November 19, 2019

हमारे जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य क्या है?

ज्ञानी संतों का मत है कि जीवन का उद्देश्य ' जन्म मृत्यु अर्थात् आवागमन से मुक्ति प्राप्त करना है’। भगवान बुद्ध ने जैसे बताया भी कि, इस संसार मे केवल दुख है और इस दुख से बचने के लिए निर्वाण प्राप्त करना होगा।

सनातन धर्म का यह विश्वास है कि हमारे जन्म हमारी ही इच्छा और कर्मों का परिणाम है। अर्थात हमारा जीवन हमे अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ही मिला है। क्योंकि अगर हमारी किसी सुख या दुख को भोगने की इच्छा नही होती तो हमारा जन्म ही नही होता।

लेकिन समस्या यह है कि हमारी इच्छा बढ़ती जा रही है, हम हर जन्म मे और इच्छायें जोड़ते जा रहे हैं। इनमे बहुत सी इच्छायें हमारी नहीं पूरी होती हैं। जैसे आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं और शादी करने चाहते हैं , परंतु आपके कर्म, सामने वाले की इच्छा और प्रारब्ध इस जन्म मे शादी के लिए सहयोग नही करते और आपकी शादी नही हो पाती। लेकिन यह बात यहाँ समाप्त नही होती। प्रकृति आपकी इच्छा को रख लेती और उस इच्छा को पूरा करने के लिए एक प्लान बनाती है। इस प्लान मे आपकी इच्छा को पूरा करने के लिए इस जन्म से लेकर कई जन्म हो सकते हैं। इस तरह आपके जन्म होते रहते हैं।

दूसरी समस्या हैं आपके कर्म, आप अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अच्छे बुरे कर्म करते रहते हैं। अच्छा और बुरा कर्म पाप पुण्य को उत्पन्न करते हैं। इन पाप पुण्य के परिणाम स्वरूप सुखर दुख मिलते हैं। जिन्हे आपको भोगना होता है। ये भी आपको मृत्युलोक मे ऊलझाए रखते हैं।

तीसरी समस्या है आपका लगाव, हर जन्म मे आपके कुछ रिश्ते बन जाते हैं। आपका उनसे लगाव हो जाता है। अब आपकी इच्छा उस शरीर से पूरी न हो तब भी आप उस शरीर को नहीं छोंडना चाहते। प्रकृति आपको दंड देती है और आपका शरीर छीन लेती है। आप फिर अपने लगाव के वजह से उन्ही रिश्तेदारों के बीच जन्म लेते हैं। जैसे आप राजा भोज को जानते ही होंगे, उन्होंने ही भोपाल शहर बसाया था। राजा भोज की माता उनको जन्म देकर मृत्यु को प्राप्त हो गई। वही माता फिरसे जन्म लेकर अंगले जन्म मे राजा भोज की पत्नी बनी।

अब प्रश्न आता है ये कब तक चलेगा और कब आप इस प्रोसेस से ऊब जायेंगे। या कब आपको ऐसा ज्ञान प्राप्त होगा की संसार रूपी मेला मे बहुत घूम लिया और अब हमे वापस अपने घर जाना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं। हम सब एलिएन ही हैं और ये संसार हमारा नही था। हम इस संसार मे आये और फंस गए। और जब आप फंस गए तो आपको फिरसे याद दिलाने के लिये कुछ संत या भगवान आदि भी इस संसार मे उतरे। आप उनके शरण मे जाइए और उद्धार पाइए। इस प्रक्रिया मे भी बहुत से जन्म हो जाते हैं।

द्वारा
लवलेश गौतम

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