ग्रहों में सबसे अधिक गति से चलने वाला चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्र को काल पुरुष का मन कहा गया है. चन्द्र माता ,मन ,मस्तिष्क ,बुद्धिमता ,स्वभाव ,जननेन्द्रियों ,प्रजनन सम्बन्धी रोगों,गर्भाशय इत्यादि का कारक है। इसके साथ ही चन्द्र व्यक्ति की भावनाओं पर नियन्त्रण रखता है। वह जल तत्व ग्रह है. सभी तरल पदार्थ चन्द्र के प्रभाव क्षेत्र में आती है. इसके अतिरिक्त चन्द्र बाग-बगीचे, नमक, समुद्री औषधी, परिवर्तन, विदेश यात्रा, दूध, मान आदि को ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र से देखा जा सकता है।
चन्द्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है। चन्द्रमा किसी ग्रह से शत्रु संबन्ध नहीं रखता है। चन्द्रमा मंगल, गुरु, शुक्र व शनि से सम संबन्ध रखते है। चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है। चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है। चन्द्र वृ्श्चिक राशि में होने पर नीच राशि में होते है। चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्र का भाग्य रत्न मोती है. चन्द्र ग्रह का रंग श्वेत, चांदी माना गया है। चन्द्र का शुभ अंक 2, 11, 20 है. चन्द ग्रह के लिए दुर्गा, पार्वती और देवी गौरी की उपासना करनी चाहिए।
चंद्र ग्रह – राशि, भाव और विशेषताएं – Moon Grah Rashi – Bhav characteristics :
राशि स्वामित्व : कर्क
दिशा : उत्तर पश्चिम
दिन : सोमवार
तत्व: जल
उच्च राशि : वृष
नीच राशि : वृश्चिक
दृष्टि अपने भाव से: 7
लिंग: स्त्री
नक्षत्र : रोहिणी , हस्त , श्रवण
शुभ रत्न : मोती
महादशा समय : 10 वर्ष
मंत्र: ऊँ चं चंद्राय नम:
जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि अपनी ही राशि में या मित्र, उच्च राशि षड्बली ,शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चन्द्रमा की शुभता में वृद्धि होती है. जन्म कुण्डली में चंद्रमा यदि मजबूत एवं बली अवस्था में हो तो व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने वाला तथा मन से प्रसन्न रहने वाला होता है. पद प्राप्ति व पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल व श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ मिलता है. यदि चन्द्रमा कृष्ण पक्ष का नीच या शत्रु राशि में हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चंद्रमा निर्बल हो जाता है. ऎसी स्थिति में निद्रा व आलस्य घेरे रहता है व्यक्ति मानसिक रुप से बेचैन, मन चंचलता से भरा रहता है मन में भय व्याप्त रहता है।
चन्द्रमा को सुख-शांति का कारक माना जाता है। लेकिन यही चन्द्रमा जब उग्र रूप धारण कर ले तो प्रलयंकर स्वरूप दिखता है।चन्द्रमा से ही मनुष्य का मन और समुद्र से उठने वाली लहरे दोनों का निर्धारण होता है। माता और चंद्र का संबंध भी गहरा होता है। अशुभ या पीड़ित चन्द्रमा के लक्षण:
मूत्र संबंधी रोग
दिमागी खराबी
हाईपर टेंशन, हार्ट अटैक
मानसिक अवसाद
व्यसन प्रेमी
नेत्र विकार
मधुमेह
मिर्गी के दौरे
टी बी , निमोनिया , फेफड़े तथा वक्ष स्थल की बीमारियाँ आदि।
चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र | Moon’s Beej Mantra
चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र " ऊँ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:
(संकल्प संख्या 11000)
चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र |
Moon’s Vedic Mantra
चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र इस प्रकार है.
" ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।
भाशिनं भवतया भाम्भार्मुकुट्भुशणम।। "
चन्द्र की दान योग्य वस्तुएं चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए।
चन्द्र स्तोत्र || Chandra Stotram || Chandra Graha Stotram in Sanskrit
श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।
चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव: ।।1।।
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।2।।
क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।
हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।3।।
सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।
सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।4।।
राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।
ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।5।।
( इति मन्त्रमहार्णवे चन्द्रमस: स्तोत्रम )
चन्द्र कवच Chandra Kavacham in Sanskrit :
अस्य श्री चन्द्र कवचस्य गौतम ऋषिः अनुष्टुप् छन्द:
श्री चन्द्रो देवता | चन्द्र प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ||
ध्यानम्
समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमकुटोज्वलम् |
वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ||
एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ||
अथ चन्द्र कवचम्
शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः |
चक्षुषी चन्द्रमा पातु श्रुती पातु निशापतिः ||
प्राणं क्षपकरः पातु मुखं कुमुद बान्धव: |
पातु कण्ठं च मे सोमः स्कन्धे जैवातृकस्तथा ||
करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः |
हृदयं पातु मे चन्द्रो नाभिं शंकरभूषणः ||
मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः |
ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा ||
अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा |
सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ||
फलश्रुतिः
एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् |
यः पठेच्छृणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ||
|| इति श्री चन्द्र कवचं सम्पूर्णम् ||
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