प्यार एक् बेहद शानदार भावना है। हमे पता भी नही चलता और हम प्यार मे जी रहे होते हैं। प्यार अपने मे एक बहुत बड़ी शक्ति है जो बड़े से बड़ा बदलाव करने मे समर्थ है। प्यार ही वह धागा है जिसने पूरी दुनिया को जोड़े रखा है। जब हम किसी की फिक्र करते हैं और उसका भला चाहते हैं तो ये प्रेम ही तो है।
जब प्यार मोह मे परिणित हो जाता है तो परिणाम भयंकर हो जाता है। जैसे धृतराष्ट्र अपने पुत्रों से मोह करता था तो उसका परिणाम महाभारत युद्ध हुआ।
मान लो किसी बगीचे के पेंड मे एक तोता रहता है। आपको उस तोता से प्यार हो गया। आप उस तोते के लिए कभी फल ले जाते हैं तो कभी खाना। यही सच्चा प्यार है। लेकिन आप उस तोते को अपने साथ रखने की जिद्द करने लगे और उसको अपने साथ लाकर पिंजरे मे कैद करके रख ले और उसकी आजादी छींन ले तो यह मोह है।
प्यार निस्वार्थ होता है। यह एकतरफा भी हो सकता है और दो तरफ़ा भी। यह किसी का किसी से भी हो सकता है। प्यार इंसान से भी होता है और जानवर से भी। भगवान से प्रेम होना तो उत्तम है।
“ इश्क़ में सिर्क और मोहब्बत में बेवफाई की जगह नहीं होती
और उस मोहब्बत का क्या कहना, जिसमें आपको रोजा रखना पड़ जाये।"
द्वारा
लवलेश गौतम
जब प्यार मोह मे परिणित हो जाता है तो परिणाम भयंकर हो जाता है। जैसे धृतराष्ट्र अपने पुत्रों से मोह करता था तो उसका परिणाम महाभारत युद्ध हुआ।
मान लो किसी बगीचे के पेंड मे एक तोता रहता है। आपको उस तोता से प्यार हो गया। आप उस तोते के लिए कभी फल ले जाते हैं तो कभी खाना। यही सच्चा प्यार है। लेकिन आप उस तोते को अपने साथ रखने की जिद्द करने लगे और उसको अपने साथ लाकर पिंजरे मे कैद करके रख ले और उसकी आजादी छींन ले तो यह मोह है।
प्यार निस्वार्थ होता है। यह एकतरफा भी हो सकता है और दो तरफ़ा भी। यह किसी का किसी से भी हो सकता है। प्यार इंसान से भी होता है और जानवर से भी। भगवान से प्रेम होना तो उत्तम है।
“ इश्क़ में सिर्क और मोहब्बत में बेवफाई की जगह नहीं होती
और उस मोहब्बत का क्या कहना, जिसमें आपको रोजा रखना पड़ जाये।"
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लवलेश गौतम
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