Online Astrology,Palm Reading, Vastu,Numerology,Vaidik Astrology, Numerology, Palmistry, Vastu, Lal Kitab, KP Astrology, Medical Astrology, Celebrity Horoscopes, Annual and Monthly Horoscope, Rashifal, Movies, Cricket and movies prediction etc

Breaking

Wednesday, November 29, 2017

What is important

मंदिर एक छोटा सा स्थान ,उसमे बैठी एक छोटी सी पत्थर की मूरत ,बड़े बड़े महलों वाले राजे महाराजे सर झुका देते हैं ,बड़े बड़े अमीर भिक्षा मांगते हैं उसके सामने......

सड़क पर घूम रहा एक भिखमंगा फ़क़ीर या मैला कुचैला अधनंगा औघड़ ,बड़े बड़े उससे अपनी सलामती का आशीर्वाद मांगते हैं ,कष्टों से छुटकारा मांगते हैं ,......

इसलिए
महत्व धन का नहीं ,शारीरिक भौतिक शक्ति का नहीं अपितु यह तो मात्र भ्रम है जबकि व्यक्ति तो डरा ही रहता है......

इसलिए
न धन के पीछे भागो ,न शक्ति के पीछे भागो
खुद को ऐसा बनाओ की भीख मांगना न पड़े ,ऐसे कर्म करो कि किसी से डरना न पड़े ,जो डरे आपसे डरे ,जो मांगे आपसे मांगे ,आपका सर न झुके लोगो के सर आपके सामने झुके ।

ये धरती उन पर हँसती है जो इस पर राज करने के लिये इतना संघर्ष करते हैं। यहाँ पर भगवान राम और कृष्ण भी स्थिर रहकर राज्य नही कर सके। उन्हे भी अपना स्थूल शरीर छोंडना पडा। विश्व विजय का स्वप्न लिये सिकंदर एक तीर से पैदा हुये नासूर से मर गया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने स्वतः ही राज्य छोंडकर अपने शरीर को कष्ट देकर शरीर त्याग दिया। सम्राट विक्रमादित्य हो या सम्राट अशोक सबको मरना पडा। सत्ता के अभिमान मे चूर क्रूर कर्म करने वाला ब्रज- मथुरा को उजाड देने वाला औरंगजेब भी पछतावे के साथ ही मर गया।

इसलिये कर्म ऐसे करो जो अपने आप मे पवित्र हो। भगवान राम ने अपने जीवन मे धर्म और सिद्धान्तों का परित्याग कभी नही किया। अश्वमेध यज्ञ के समय पत्नी पास न होने पर उसकी मूर्ति बगल मे बैठाकर यज्ञ किया परंतु दूसरा विवाह नही किया। कोई भी कर्म जो परिवार या माता- पिता की कीर्ति को घटा दे, ऐसे कर्मों का त्याग करना चाहिये। अर्जुन महाभारत के युद्ध से भाग रहा था परंतु भगवान कृष्ण ने उसे समझाया कि "तुम्हारा युद्ध से भागना तुम्हारी कीर्ति को कलंकित कर देगा क्योंकि तुम क्षत्रिय हो'। अर्जुन स्वयं मे बहुत निरासक्त थे। उर्वशी जैसी सुन्दर अप्सरा का प्रेम आवेदन उन्होने ठुकरा दिया था क्योंकि यह उनके धर्म के खिलाफ था। उत्तम कर्म ही सुख/स्वर्ग/कीर्ति देता है और निकृष्ट कर्म अपकीर्ति/कलंक/दुख और नरक के अलावा कुछ नहि देते।

No comments:

Post a Comment