"यह कहानी जितनी मेरी है, उतनी ही आपकी भी है"
एक प्यारी शाम को जब चाँद की चाँदनी सारे रेगिस्तान को प्रकाशित करती जा रही थी। हवायें चल रही थी और मै सेलेनेइसरेस ग्रैंडफ्लोरस के सुंदर फूल को देखने के लिये उस रेगिस्तान मे बढता ही जा रहा था। सेलेनेइसरेस ग्रैंडफ्लोरस कैक्टस (नागफनी) की एक प्रजाति है, जो रेगिस्तान मे पायी जाती है। इसकी खास बात यह है कि यह कैक्टस 2-3 साल के अंतराल में एक रात खिलता है और फिर कुछ ही घंटो मे सूख जाता है। ऐसी किंवदंतियाँ भी प्रचलित हैं कि जो इस दुर्लभ घटना को देखता है, वह अपना मान्सिक संतुलन खो देता है। आखिरकार मै इस कैक्टस के पास पहुँच जाता हूँ। सहसा मुझे अजीब सी इच्छायें और आभास बाधित करती हैं। मै एक भयावह छाया को नृत्य करते हुये देखता हूँ।
Act 1: यहाँ तक मेरी (नायक) की कहानी है। यहाँ कैक्टस का पुष्प प्रतीकात्मक है जो नायक का नायिका के युवा अवस्था के प्रति आकर्षण को दिखाता है। नायक एक जानकार खोजकर्ता है और उसे परिणाम का भी पता होता है। इसके बावजूद वो नायिका की उस खूबसूरती को देखने के लिये संघर्ष करता है। जिस प्रकार पतंगा आकर्षित होकर समा के पास जाता है वैसे ही नायक आखिरकार भ्रमों मे फँस जाता है और शायद अपनी मनः स्थिति को खो देता है। इसके बाद की स्थिति का वर्णन नायिका अपने दोस्तों और सहेलियों के सामने करती है और कुछ दिनो बाद नायक और उसके साथ घटी घटना को भी भूल जाती है।
Act 2: नायिका खुद को भी उसी सेट (दृश्य) मे पाती है। वह कैक्टस के फूल को देख लेती है(अर्थात् वह अपने सपनो/इच्छाओं के पास जाती है)। सहसा एक भयावह स्थिति उत्पन्न होती है और नायिका उन्ही कैक्टस के काँटो में गिर जाती है। नायिका को एक काँपते हुए हाँथ का ऐहसास होता है। यह हाँथ नायक का होता है जो पहले ही उस कैक्टस के काँटो मे गिर चुका था। अब दोनो एक ही स्थिति मे होते हैं । दोनो चट्टान पर पडने वाली आखिरी रौशनी को देखते हैं। भक्षक जानवर आकर उन दोनो की लाशों को घसीटते हैं और उनके माँस को खा जाते हैं। उन दोनो की हड्डियाँ उसी रेगिस्तान मे विलीन हो जाती हैं। मै(संयुक्त नायक और नायिका) परम शान्ति मे होता हूँ। अब सितारे मेरी आँखे होती हैं और हवायें मेरे हाँथ होते हैं। मै देखता हूँ कि नायक और नायिका के दोस्त इस घटना के बाद उन दोनो को मूर्ख समझते हैं और उनके साथ हुए हादसे के लिये शोक करते हैं। अंत में वे सब भी खुद को नायक और नायिका की ही तरह act 1 और act 2 मे फँसा पाते हैं।
Note: यहां पर कैक्टस का पुष्प नायक और नायिका के सपनों/इच्छा को पूरा होने का व्यक्त करता है। नायक के लिये नायिका ही इसका प्रतिनिधित्व करती है। कैक्टस के काँटे दुख का प्रतीक हैं। जैसे कि गौतम बुद्ध ने कहा भी है कि संसार मे केवल दुख है। नायक अपनी नायिका के प्रति आकर्षण का शिकार होता है जबकि नायिका मृग मरीचिका का शिकार हो जाती है। एक प्यासा व्यक्ति जब रेगिस्तान में फंस जाता है तो वह पानी खोजता है। जब वह दूर देखता है तो चमकती रेत की बूँदो से उसे पानी का भ्रम होता है।इसे ही मृग मरीचिका कहते है। वह व्यक्ति इस तरह पानी खोजते-खोजते प्यासा ही मर जाता है। भक्षक जानवर काल/मृत्यु है।अंतिम प्रकाश और अनंतता की स्थिति का सही मतलब ज्ञानी ऋषि जानते हैं।
द्वारा
लवलेश गौतम
एक प्यारी शाम को जब चाँद की चाँदनी सारे रेगिस्तान को प्रकाशित करती जा रही थी। हवायें चल रही थी और मै सेलेनेइसरेस ग्रैंडफ्लोरस के सुंदर फूल को देखने के लिये उस रेगिस्तान मे बढता ही जा रहा था। सेलेनेइसरेस ग्रैंडफ्लोरस कैक्टस (नागफनी) की एक प्रजाति है, जो रेगिस्तान मे पायी जाती है। इसकी खास बात यह है कि यह कैक्टस 2-3 साल के अंतराल में एक रात खिलता है और फिर कुछ ही घंटो मे सूख जाता है। ऐसी किंवदंतियाँ भी प्रचलित हैं कि जो इस दुर्लभ घटना को देखता है, वह अपना मान्सिक संतुलन खो देता है। आखिरकार मै इस कैक्टस के पास पहुँच जाता हूँ। सहसा मुझे अजीब सी इच्छायें और आभास बाधित करती हैं। मै एक भयावह छाया को नृत्य करते हुये देखता हूँ।
Act 1: यहाँ तक मेरी (नायक) की कहानी है। यहाँ कैक्टस का पुष्प प्रतीकात्मक है जो नायक का नायिका के युवा अवस्था के प्रति आकर्षण को दिखाता है। नायक एक जानकार खोजकर्ता है और उसे परिणाम का भी पता होता है। इसके बावजूद वो नायिका की उस खूबसूरती को देखने के लिये संघर्ष करता है। जिस प्रकार पतंगा आकर्षित होकर समा के पास जाता है वैसे ही नायक आखिरकार भ्रमों मे फँस जाता है और शायद अपनी मनः स्थिति को खो देता है। इसके बाद की स्थिति का वर्णन नायिका अपने दोस्तों और सहेलियों के सामने करती है और कुछ दिनो बाद नायक और उसके साथ घटी घटना को भी भूल जाती है।
Act 2: नायिका खुद को भी उसी सेट (दृश्य) मे पाती है। वह कैक्टस के फूल को देख लेती है(अर्थात् वह अपने सपनो/इच्छाओं के पास जाती है)। सहसा एक भयावह स्थिति उत्पन्न होती है और नायिका उन्ही कैक्टस के काँटो में गिर जाती है। नायिका को एक काँपते हुए हाँथ का ऐहसास होता है। यह हाँथ नायक का होता है जो पहले ही उस कैक्टस के काँटो मे गिर चुका था। अब दोनो एक ही स्थिति मे होते हैं । दोनो चट्टान पर पडने वाली आखिरी रौशनी को देखते हैं। भक्षक जानवर आकर उन दोनो की लाशों को घसीटते हैं और उनके माँस को खा जाते हैं। उन दोनो की हड्डियाँ उसी रेगिस्तान मे विलीन हो जाती हैं। मै(संयुक्त नायक और नायिका) परम शान्ति मे होता हूँ। अब सितारे मेरी आँखे होती हैं और हवायें मेरे हाँथ होते हैं। मै देखता हूँ कि नायक और नायिका के दोस्त इस घटना के बाद उन दोनो को मूर्ख समझते हैं और उनके साथ हुए हादसे के लिये शोक करते हैं। अंत में वे सब भी खुद को नायक और नायिका की ही तरह act 1 और act 2 मे फँसा पाते हैं।
Note: यहां पर कैक्टस का पुष्प नायक और नायिका के सपनों/इच्छा को पूरा होने का व्यक्त करता है। नायक के लिये नायिका ही इसका प्रतिनिधित्व करती है। कैक्टस के काँटे दुख का प्रतीक हैं। जैसे कि गौतम बुद्ध ने कहा भी है कि संसार मे केवल दुख है। नायक अपनी नायिका के प्रति आकर्षण का शिकार होता है जबकि नायिका मृग मरीचिका का शिकार हो जाती है। एक प्यासा व्यक्ति जब रेगिस्तान में फंस जाता है तो वह पानी खोजता है। जब वह दूर देखता है तो चमकती रेत की बूँदो से उसे पानी का भ्रम होता है।इसे ही मृग मरीचिका कहते है। वह व्यक्ति इस तरह पानी खोजते-खोजते प्यासा ही मर जाता है। भक्षक जानवर काल/मृत्यु है।अंतिम प्रकाश और अनंतता की स्थिति का सही मतलब ज्ञानी ऋषि जानते हैं।
द्वारा
लवलेश गौतम
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