फज़ा भी है जवाँ, जवाँ, हवा भी है रवाँ, रवाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
फज़ा भी है जवाँ, जवाँ, हवा भी है रवाँ,
पुकारते हैं दूर से, वो काफिले बहार के
बिखर गये हैं रंग से, किसी के इंतजार के
लहर लहर के होंठपर, वफ़ा की हैं कहानियाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
बुझी मगर बुझी नहीं, न जाने कैसी प्यास है
करार दिल से आज भी, ना दूर है ना पास है
ये खेल धूप-छाँव का, ये कुर्बतें, ये दूरियाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
हर एक पल को ढूंढता, हर एक पल चला गया
हर एक पल फिराक का, हर एक पल विसाल का
हर एक पल गुजर गया, बना के दिल पे एक निशाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
फज़ा भी है जवाँ, जवाँ, हवा भी है रवाँ,
पुकारते हैं दूर से, वो काफिले बहार के
बिखर गये हैं रंग से, किसी के इंतजार के
लहर लहर के होंठपर, वफ़ा की हैं कहानियाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
बुझी मगर बुझी नहीं, न जाने कैसी प्यास है
करार दिल से आज भी, ना दूर है ना पास है
ये खेल धूप-छाँव का, ये कुर्बतें, ये दूरियाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
हर एक पल को ढूंढता, हर एक पल चला गया
हर एक पल फिराक का, हर एक पल विसाल का
हर एक पल गुजर गया, बना के दिल पे एक निशाँ
सुना रहा है ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ
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